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Friday, April 24, 2020

जंग या संवाद ??


सवाल हम सबका है? देश बट रहा है और हम पूछते हैं कि कोई सवाल क्यों नहीं करता?
एक ऐसा महान देश भारत जिसके इतिहास को आज भी पढ़ा और याद किया जाता है, जिसको हमारे देश के लोगों द्वारा बनाए रखने की पूरी भरपूर कोशिशें की जाती हैं
पर क्या ये सच नही की 1947 के बाद आज फिर देश में बँटवारे की स्तिथि पैदा हो रही है??? और सवाल तो यह‌ भी उठ रहा है कि ऐसा आखिर क्यों हो रहा है?
भारत के आंकड़ों द्वारा आज भारत की आबादी में 70.4% लोग पढ़ लिख ओर समझ सकते है, लेकिन 2019 के लोक सभा इलेक्शन मे सिर्फ़ 67% लोगों ने ही वोट किया .लोगों को वोट देने का अधिकार तो मिल जाता है, पर क्या वाकई ये समझपाते है कि वोट देने के अधिकार क्या है?
सिर्फ वोट देकर सरकार चुनने तक या फिर उससे ज्यादा भी हमारी कोई भागीदारी है या नहीं ?? जिसका कारण हमारे पास वास्तविक जानकारियों की कमी है जिसको lack of actual information world बोलते हैं । और ताज्जुब की बात तो यह है जिनका हमें यह बताने का काम है वो तो बिक चुके हैं । जिसे हम डिमॉक्रेसी(democracy)का 4th पिलर कहते है हमारी मीडिया.
2016 में एक दिन कि लिए NDTV चैनल को बंद किया गया था वह भी बिना किसी ‌कारण के वही DNA जैसे स्पेशल रिपोर्ट में किसी खास विचारधारा के लोगों को हिंसा फैलाने ,देश द्रोही जैसी गतिविधियों का कारण बताया जा रहा है।क्या ये देश बाटने का काम नहीं कर रहे? फिर क्यों इनको एक दिन के लिए बन्द नहीं किया गया ? महाराष्ट्र में जब साधु को मारा जाता है तो कहा जाता हैं की इस घटना में कोई मुस्लिम नहीं था वहीं जब मोहम्मद ज़ुबैर को मारा गया तो कहा जाता है कि हत्या का कारण हिन्दू सामूदायिक था.
क्यों आज भारत को इतनी नफरत का सामना करना पड़ रहा हैं ,क्या ऐसा ही था हमारा भारत?. जिस देश में डॉक्टर को भगवान माना जाता है आज उन्हीं पर पत्थर मारे जा रहे हैं जबकि डॉक्टर आज भी किसी धर्म, जाति को देखें बिना सभी का इलाज कर रहे हैं,
क्यों किसी के मरने पर या किसी को मारने पर उसकी धर्म,जाती और विचारधाराओं को देखा जाता है?? जबकि कोई भी धर्म हमें लड़ना या हिंसा करना नहीं सिखाता और कही भी नफ़रत के लिए जगह नहीं है ,
आज अंबेडकर और गांधीजी के सपनो का भारत कहीं गुम सा हो गया है जहां लोग अपनी विचारधाराओं की होड़ में पूरे भारत की एकता निरंतर को तोड रहे हैं।
क्योंकि सच तो यह है की आज सवाल करने वाले डरे हुए है पर वक्त है, कि अब हम हमारे विचारों, धर्म,जाती या समुदाय तक ही सीमित ना रखें बल्कि जो सही हो उनके साथ खड़े रहे और ग़लत के सामने खड़े होकर सवाल करें सकें और देश की जो एक अलग पहचान है उसको बनाए रखने का काम देश की जनता का ही है ,
अब खुद सोच कर देखिए कि कब तक हमें यूं ही सवाल करने से डरते रहेंगे?

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