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Thursday, April 30, 2020

इरफान खान के बाद ऋषि कपूर ने भी कहा दुनिया को अलविदा


ऋषि कपूर ने भी दुनिया से ली अलविदा


30 अप्रैल 2020 को एक अमिताभ बच्चन के ट्वीट से एक और बड़ी खबर दुखद खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि जाने-माने अभिनेता ऋषि कपूर का निधन हो गया है ।ऋषि कपूर तबीयत अचानक बिगड़ गई थी उसके बाद उन्हें मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।सितंबर में अभिनेता ऋषि कपूर कैंसर का इलाज कराकर अमेरिका से वापस आए थे।

2018 में ऋषि कपूर को पता चला था कि उन्हें कैंसर है, जिसके बाद उन्होंने 1 साल तक न्यूयॉर्क में इलाज करवाया और उसके बाद भारत लौट कर आए। भारत आते ही उन्होंने ट्वीट किया था," बैक होम "11 महीने 11 दिन! आप सभी को धन्यवाद
2020 के शुरुआती महीने फरवरी से ही ऋषि कपूर की तबीयत बिगड़ी हुई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था ऋषि कपूर का कहना था कि मुझे एक छोटा सा इंफेक्शन हुआ है जो इलाज के बाद ठीक हो जाएगा ।घबराने की कोई बात नहीं है शायद मुझे प्रदूषण से कोई इंफेक्शन हो गया है।
पिछले बीते कुछ दिनों पहले ऋषि कपूर ने देश में करोना वायरस पर एक शर्मनाक घटना को देखते हुए गुस्से में भड़काऊ ट्वीट किया था। उन्होंने ट्वीट में कहा था'किसी भी सामाजिक स्थिति व विश्वास से ताल्लुक रखने वाले भाई बहनों से एक अपील है कृपया हिंसा पत्थर फेकने या भड़काव का सहारा ना लें। डॉक्टर, नर्स,स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस इत्यादि अपनी जान जोखिम में डालकर आपकी जान बचा रहे हैं हमें साथ मिलकर करोना वायरस के खिलाफ इस जंग को जीतना होगा जय हिंद'!
ऋषि कपूर ना सिर्फ फिल्मों में सक्रिय रुप से कार्य कहते थे बल्कि वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते थे। अक्सर उन्हें सोशल मीडिया के जरिए सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय देते देखा गया।

Wednesday, April 29, 2020

invaluable step.


Delhi 1 Union Territory, which has not only been recognized as the capital of the country, but also in this hour of crisis, Kovid-19 transition has the highest number of states in the state, which is ranked second. Also known by name.

In view of the threat of Kovid-19 in the country today, people are following the lock down so much, and all the companies, universities, shops, all the small and big businesses of the country are working in their homes. People are so much concerned about their safety, that they are avoiding going out for the essentials of the house. Be it Navratri or Ramadan, all people are sitting at home, and in the midst of this crisis, we are sitting at home every day to protect ourselves, but you will be surprised to know that where the doctors of the country are taking care of the people by day and night. Whereas, the policemen, while fulfilling their duties, are advising people to sit in the house, the leaders of the country are giving social workers space to live, while in this difficult time Ramanujan College of Shri University has also taken to the streets itself to save the country from the crisis in this crisis, and today is dedicating its participation to the country by distributing food to the needy people of the country. This work is being done without any show and publicity, but this step of the Ethics and Value Society of Ramanujan College is commendable for the country, and all those institutions There is a lesson for s who have forgotten their duty to the country today to save their lives in the crisis country.

Today, I would like to heartily thank Dr.tusar Mishra sir, mukesh sir, and the founder of Ramanujan College Principal Dr. Founder (founder of ethics and value) Dr. Aggarwal sir Ethics and Value.

Today we are proud that we are your students and we heartily congratulate you, and appreciate your invaluable step.

सराहनीय कदम

दिल्ली 1 केंद्र शासित राज्य जिसकी पहचान ना केवल अब देश की राजधानी के नाम से रह गई है ,बल्कि संकट की इस घड़ी में कोविड-19 के संक्रमण में सबसे अधिक केस आने वाले राज्यों में से दूसरे नंबर के पायदान पर खड़े होने वाले राज्य के नाम से भी जाना जाता है।

देश में आज कोविड-19 के खतरे को देखते हुए लोग लॉक डाउन इस कदर फॉलो कर रहे हैं ,और सभी कंपनी, यूनिवर्सिटी, दुकाने, देश के सभी छोटे ,बड़े बिजनेस आज घरों में रहकर काम करे जा रहे हैं। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर इतने अधिक चिंतित हैं, कि वह घर की जरूरी चीजों के लिए भी बाहर जाने से बच रहे हैं। नवरात्रि हो या रमजान सभी लोग घर बैठकर बना रहे हैं ,और इस संकट घड़ी के बीच हम हर रोज खुद को बचाने के लिए घर में बैठे हैं ,लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की जहां देश के डॉक्टर दिन-रात लगकर लोगों की जान बचा रहे हैं, वहीं पुलिस वाले भी अपनी ड्यूटी को पूरा करते हुए लोगों को घर में बैठने की सलाह दे रहे हैं , देश के नेता सामाजिक कार्यकर्ता लोगों को रहने की जगह दे रहे हैं, वहीं इस मुश्किल समय में दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन कॉलेज ने भी इस संकट घड़ी में देश को संकट की घड़ी से बचाने के लिए खुद सड़कों पर उतर आए हैं, पूरी एहतियात को बरतते हुए और आज देश के जरूरतमंद लोगों को खाना बांट कर देश के लिए अपनी भागीदारी को समर्पित कर रहे हैं हालांकि, वो इस कार्य को बिना किसी दिखावे और पब्लिसिटी के कर रहे हैं ,परंतु रामानुजन कॉलेज के एथिक्स एंड वैल्यू ( ethics and value) सोसाइटी का यह कदम देश के लिए सराहनीय है, और बाकी सभी उन संस्थाओं के लिए एक सीख है, जो आज देश के संकट में अपनी जान बचाने के लिए देश के प्रति अपने कर्तव्य तक को भूल गए हैं। खुलेआम पुलिस डॉक्टर और देश के नेताओं तक की अपील को अनसुना कर रहे हैं। पर हमें खुशी है ,कि इसमें कुछ लोग पूरा सहयोग दे रहे हैं, घर में रहकर करोना वायरस के खिलाफ लड़ते हुए और यदि लोगों को मदद करने के लिए निकल पी रहा है तो पूरी एहतियात को बरसते हुए ही वो इस काम को कर रहे हैं।

आज मैं दिल से रामानुजन कॉलेज के प्रिंसिपल dr.s.p aggarwal sir एथिक्स एंड वैल्यू के फाउंडर ( founder of ethics and value) Dr.tusar Mishra sir,mukesh sir, और पूरी टीम को दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूं।

आज हमें गर्व है कि हम आपके छात्र हैं और हम दिल से बधाई देते हैं, और आपके इस अमूल्य कदम की सराहनीय करते हैं।

Irfan khan


The country has lost a veteran officer

Irrfan Khan, the well-known Bollywood actor of the country, was arranged in time at Dhirubhai Ambani Hospital in Mumbai on Wednesday, April 29, 2020. He was admitted to the hospital about 1 week ago due to a conal infection.
In tribute to Sujit Sarkar (filmmaker) Irfan Khan tweeted, "My dear friend Irfan" You fought and fought and fought. I will always be proud of you .. We will meet again .. To Sutapa and Babil Condolences… You also fought, Sutapa, you helped in every possible way in this fight, Shanti and Omprakash Irfan Khan. Salute


Irrfan Bollywood actor was born on 7 January 1967. His childhood was spent in safe Tonk. He lived in Tonk with his parents. Most of his relatives and most of the family live in Tonk today. Who were praying for his health.

The well-known Irfan Khan lost his mother 4 days ago in Jaipur but, due to poor health, Irrfan Khan could not attend his last visit. Irfan Khan's taluk was from the Nawabi family.

Irrfan Khan has included many memorable films in the Bollywood list in his life, out of which great films like 'Maqbool', 'Life in a Metro', 'The Lunchbox', Piku ',' Talwar 'and' Hindi Medium ' Huh. Worked in Irrfan Khan was also awarded the Filmfare Award for the negative role in the film 'Haasth', 'Life in a Metro' bust actor, Paan Singh Tomar, bot actor, 'Hindi Medium' bust actor. He was awarded the National Award for Paan Singh Tomar. Not only this, Irfan Khan was also awarded the country's fourth largest Padmashri Award in 2011 by the Government of India for his significant contribution in the field of art.

अलविदा इरफान खान


देश ने खोया एक दिग्गज अभिनेता
देश के जाने माने बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का बुधवार 29 अप्रैल 2020 कि सुबह मुंबई के धीरूभाई अंबानी अस्पताल में इंतकाल। करीब 1 सप्ताह पहले कोनल इंफेक्शन के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।


सुजीत सरकार( फिल्म मेकर)इरफान खान को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया है, ''मेरे प्रिय मित्र इरफान''। आप लड़े और लड़े और लड़े ।मुझे आप पर हमेशा गर्व रहेगा.. हम फिर से मिलेंगे.. सूतापा और बाबील के प्रति संवेदना ...आपने भी लड़ाई लड़ी, सूतापा आपने इस लड़ाई में हर संभव मदद की शांति और ओम शांति इरफान खान को सलामी।

इरफान बॉलीवुड एक्टर का जन्म 7 जनवरी 1967 को हुआ था। उनका बचपन राजस्थान के टोंक में ही गुजरा था। उनके माता-पिता के साथ वे टोंक में ही रहते थे ।उनके अधिकतर रिश्तेदार और परिवार के ज्यादातर लोग आज फिर टोंक में रहते हैं। जो उनकी सेहत की दुआ कर रहे थे।

जाने-माने इरफान खान ने 4 दिन पहले ही जयपुर में मां को खोया था परंतु ,खराब स्वास्थ्य के कारण इरफान खान उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके थे। इरफान खान का तालुक नवाबी खानदान से था।

इरफान खान मैं अपने जीवन में कई यादगार फिल्में बॉलीवुड की लिस्ट में शामिल कर दी हैं , जिसमें से 'मकबूल ','लाइफ इन ए मेट्रो ','द लंचबॉक्स', पीकू', 'तलवार' और 'हिंदी मीडियम' जैसी शानदार फिल्मों में काम किया था । इरफान खान को' हासिल' फिल्म में नेगेटिव रोल,'लाइफ इन ए मेट्रो' बेस्ट एक्टर, पान सिंह तोमर, बेस्ट एक्टर ,'हिंदी मीडियम 'बेस्ट एक्टर के लिए फिल्मफेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें पान सिंह तोमर के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था ।यही नहीं इरफान खान का कला के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2011 मैं देश का चौथा सबसे बड़ा पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया था

Tuesday, April 28, 2020

शिक्षा में तकनीकी प्रभाव


आधुनिकता के दौर में आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो कि टेक्नोलॉजी से अछूता हो। 1947 के बाद, भारत में  अन्य क्षेत्रों की तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी कई बड़े बदलाव आए हैं ; जिसका प्रभाव आज हम देश के नामी संस्थानों में भी देख सकते हैं। बड़े-बड़े संस्थानों में भी आज तकनीकी छेत्र में डिप्लोमा, डिग्री और कई ऐसे कोर्स करवाये जा रहे हैं जिनमें टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करने की शिक्षा दी जाती है।
भारत तकनीकी विज्ञान को सही दिशा में जाते हुए देख रहा है और तकनीकी रूप से सुदृढ़ भारत की परिकल्पना भी कर रहा है। वर्तमान भारत की शिक्षा प्रणाली में आरंभिक शिक्षा के बिल्कुल नये आयाम दिखाई दे रहे हैं, जिसका मुख्य कारण भारतीय शिक्षा मैं विज्ञान एवं नवीनतम तकनीक का प्रयोग है।
भारत में तकनीकी शिक्षा ने आज शिक्षा का रूप ना केवल विद्यालयों में ही बदला है बल्कि, इसका प्रभाव हमारे देश के रोजगार के क्षेत्र में भी दिखाई जान पड़ता है। आधुनिक भारत के लिए उसके सपने को साकार करने का तकनीक एक बेहतर ज़रिया है।इस हकीकत को देखते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी  ( Information and Communication Technology, ICT)  एक   व्यापक   क्षेत्र   है , जिसका प्रभाव आज भारत में आईटी जैसे बड़े सेक्टरों में सामने आ रहा है और शिक्षा का एक नया स्वरूप दिख रहा है।



1. कम्प्यूटर   हार्डवेयर   प्रौद्योगिकी  इसके   अन्तर्गत   माइक्रो-कम्प्यूटर ,सर्वर ,बड़े  मेनफ्रेम  कम्प्यूटर के साथ - साथ   इनपुट ,आउटपुट एवं संग्रह करने वाली युक्तियाँ आती हैं।

2. कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी इसके अंतर्गत ऑपरेटिंग   सिस्टम वेब ब्राउजर डाटाबेस प्रबन्धन प्रणाली ( DBMS)सर्वर   तथा व्यापारिक ,वाणिज्यिक सॉफ्टवेयर आते हैं।

3. दूरसंचार व नेटवर्क प्रौद्योगिकी इसके अन्तर्गत दूरसंचार के   माध्यम,प्रोसेसर तथा इंटरनेट से जुड़ने के लिये तार या बेतार पर   आधारित सॉफ्टवेयर,नेटवर्क सुरक्षा ,सूचना का कूटन  ( क्रिप्टोग्राफी आदि हैं।
4. मानव संसाधन तंत्र प्रशासक( System Administrator),  नेटवर्क प्रशासक ( Network Administrator),आदि।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की महत्ता निम्नलिखित   है -

1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ,सेवा अर्थतंत्र ( Service Economy)का आधार है।

2. पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये   सूचना प्रौद्योगिकी एक उपयुक्त तकनीक है।

3. गरीब जनता को सूचना -सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का   उन्मूलन किया जा सकता है।

4. सूचना-संपन्नता से सशक्तिकरण होता है।

5. सूचना तकनीकी ,प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती   है , इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है।

6. सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने ,नीति निर्धारण तथा   निर्णय लेने में होता है।

7. यह नये रोजगारों का सृजन करती है।

भारत ने प्रौद्योगिक क्षेत्र को शिक्षा में मिलाकर एक ऐसे स्तर पर खड़ा कर दिया है ,कि आज प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्चस्तरीय शिक्षा में प्रौद्योगिकी के प्रयोग से शिक्षा को बड़े से बड़े देशों के मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया है।
निष्कर्ष
शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी ने अपने पांव बहुत मजबूती से जमा लिए हैं ,जिसके बिना शिक्षा का क्षेत्र अधूरा है ,और ना केवल शिक्षा में तकनीकी शिक्षा को पढ़ाया जा रहा है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में इसको प्रयोग भी किया जा रहा है ।आज ईमेल, रेडियो, टीवी ,वीडियो जैसे टेक्नोलॉजी को अपने जीवन में उतार लिया है , हालांकि इसका गलत प्रभाव भी हमें देखने को मिलता है ,पर यह कितना सही है ,और कितना गलत इस बात का निर्णय व्यक्ति खुद इसका प्रयोग करके निश्चित करता है।

Monday, April 27, 2020

Today news


केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया जांच का आदेश
लॉक डाउन आज हमारे लिए एक संकट के रूप में खड़ा है जिसका कारण चीन से आया हुआ करोना वायरस है लॉक डाउन के चलते देश में हर किसी को किसी ना किसी तरीके से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें से एक बहुत बड़ी मुश्किल प्रवासी मजदूरों के आवाजाही के मामले की है जो समस्या आज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस मामले की जांच करने को और लॉक डाउन में फंसे मजदूरों के आवाजाही के मामले में कार्रवाई का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के जानकारी को सत्यापित कैसे किया जाए की लाकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की आवाजाही नहीं बंद हुई सवाल किया इसका उत्तर अदालत में याचिकाकर्ता ने बताया कि कुछ राज्य सरकार बता रही है कि वह मजदूरों को वापस उनके गांव भेज देंगे पर अभी गृह मंत्रालय की ओर से किसी भी आवाजाही को अनुमति नहीं मिली है
मजदूरों के आवाजाही के मामले में सालिसिटर जर्नल तुषार मेहता द्वारा बताया गया कि मजदूरों की आवाजाही के मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने कुछ निर्देशन जारी किए हैं गौरतलब हैपिछले दिनों मंत्रालय ने मजदूरों की आवाजाही के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम जारी किए थे जिसमें बताया गया था मजदूरों को किसी भी प्रकार आवाजाही की अनुमति नहीं मिलेगी
गृह सचिव अजय भल्ला ने बताया लोक डाउन के दौरान फंसे हुए मजदूरों को कुछ विशेष शर्तों के साथ हे उनको राज्य के अंदर जाने की अनुमति मिल सकती है हालांकि ब्लॉक डाउन के 3 मई तक बढ़ जाने के दौरान मजदूरों को अंतर राज्य की भी आवाजाही अनुमति नहीं मिलेगी

Sunday, April 26, 2020

26 April

26 अप्रैल इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला दिन है जिसके कई कारण हैं

1654 ब्राजील से यहूदियों कौन निकाला था
1654 Removed Jews from Brazil
1755 रूस के मास्को मैं पहला विश्वविद्यालय खोला गया था
1755 First University of Moscow in Russia was opened
1926 मैं रूस जर्मनी ने हस्ताक्षर किए थे एक शांति समझौते पर
In 1926 Russia Germany signed a peace agreement
1929 मैं इंग्लैंड से भारत तक की नॉन स्टॉप पहली उड़ान पूरी हुई
First non-stop flight from England to India completed in 1929
1959 क्यूबा का पनामा पर आक्रमण
1959 Cuba invasion of Panama
1962 पहली बार अमेरिका के अंतरिक्ष यान ने चांद की सतह टच किया था
1962 US spacecraft first touches the lunar surface भारत का 22 वा राज्य 1975 मैं सिक्किम घोषित किया गया था
The 22nd state of India was declared Sikkim in 1975
खगोलीय विज्ञान केंद्र 1980 कोलकाता में स्थापित किया गया Astronomical Science Center was established in 1980 Kolkata
2008 मैं मनमोहन सिंह ने 390 मेगा वाट पावर प्रोजेक्ट जोकि कश्मीर में बना था उसको भारत को समर्पित करा था
In 2008, Manmohan Singh dedicated the 390 mega watt power project that was built in Kashmir to India.
भारत उज़्बेकिस्तान के द्वारा 2006 में 6 संधीयो हस्ताक्षर किए गए थे
6 treaties were signed by India Uzbekistan in 2006


Friday, April 24, 2020

जंग या संवाद ??


सवाल हम सबका है? देश बट रहा है और हम पूछते हैं कि कोई सवाल क्यों नहीं करता?
एक ऐसा महान देश भारत जिसके इतिहास को आज भी पढ़ा और याद किया जाता है, जिसको हमारे देश के लोगों द्वारा बनाए रखने की पूरी भरपूर कोशिशें की जाती हैं
पर क्या ये सच नही की 1947 के बाद आज फिर देश में बँटवारे की स्तिथि पैदा हो रही है??? और सवाल तो यह‌ भी उठ रहा है कि ऐसा आखिर क्यों हो रहा है?
भारत के आंकड़ों द्वारा आज भारत की आबादी में 70.4% लोग पढ़ लिख ओर समझ सकते है, लेकिन 2019 के लोक सभा इलेक्शन मे सिर्फ़ 67% लोगों ने ही वोट किया .लोगों को वोट देने का अधिकार तो मिल जाता है, पर क्या वाकई ये समझपाते है कि वोट देने के अधिकार क्या है?
सिर्फ वोट देकर सरकार चुनने तक या फिर उससे ज्यादा भी हमारी कोई भागीदारी है या नहीं ?? जिसका कारण हमारे पास वास्तविक जानकारियों की कमी है जिसको lack of actual information world बोलते हैं । और ताज्जुब की बात तो यह है जिनका हमें यह बताने का काम है वो तो बिक चुके हैं । जिसे हम डिमॉक्रेसी(democracy)का 4th पिलर कहते है हमारी मीडिया.
2016 में एक दिन कि लिए NDTV चैनल को बंद किया गया था वह भी बिना किसी ‌कारण के वही DNA जैसे स्पेशल रिपोर्ट में किसी खास विचारधारा के लोगों को हिंसा फैलाने ,देश द्रोही जैसी गतिविधियों का कारण बताया जा रहा है।क्या ये देश बाटने का काम नहीं कर रहे? फिर क्यों इनको एक दिन के लिए बन्द नहीं किया गया ? महाराष्ट्र में जब साधु को मारा जाता है तो कहा जाता हैं की इस घटना में कोई मुस्लिम नहीं था वहीं जब मोहम्मद ज़ुबैर को मारा गया तो कहा जाता है कि हत्या का कारण हिन्दू सामूदायिक था.
क्यों आज भारत को इतनी नफरत का सामना करना पड़ रहा हैं ,क्या ऐसा ही था हमारा भारत?. जिस देश में डॉक्टर को भगवान माना जाता है आज उन्हीं पर पत्थर मारे जा रहे हैं जबकि डॉक्टर आज भी किसी धर्म, जाति को देखें बिना सभी का इलाज कर रहे हैं,
क्यों किसी के मरने पर या किसी को मारने पर उसकी धर्म,जाती और विचारधाराओं को देखा जाता है?? जबकि कोई भी धर्म हमें लड़ना या हिंसा करना नहीं सिखाता और कही भी नफ़रत के लिए जगह नहीं है ,
आज अंबेडकर और गांधीजी के सपनो का भारत कहीं गुम सा हो गया है जहां लोग अपनी विचारधाराओं की होड़ में पूरे भारत की एकता निरंतर को तोड रहे हैं।
क्योंकि सच तो यह है की आज सवाल करने वाले डरे हुए है पर वक्त है, कि अब हम हमारे विचारों, धर्म,जाती या समुदाय तक ही सीमित ना रखें बल्कि जो सही हो उनके साथ खड़े रहे और ग़लत के सामने खड़े होकर सवाल करें सकें और देश की जो एक अलग पहचान है उसको बनाए रखने का काम देश की जनता का ही है ,
अब खुद सोच कर देखिए कि कब तक हमें यूं ही सवाल करने से डरते रहेंगे?

25 April

25 अप्रैल यानी आज के दिन विश्व मैं कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई थी जिनके बारे में इतिहास के पन्नों में लिखा गया है।

दूरदर्शन एक ऐसा चैनल जिसके आने से भारत देश में लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान आई जितनी बड़ी खबर और खुशी दूरदर्शन का आना था उससे बड़ी खुशी 25 अप्रैल 1982 को दूरदर्शन का रंगीन होना था। तो आइए ऐसी ही कुछ घटनाओं को देखते हैं

महत्वपूर्ण घटनाएं

1. 25 अप्रैल 1678 को फ्रांस की सेना ने वाइप्रेस नामक शहर पर आक्रमण कर उस पर कब्जा किया ।
On 25 April 1678, the French army attacked and captured a city called Wiperes
2. 25 अप्रैल 1936 को ओगडेन और इटली के बीच युद्ध हुआ अंत में इटली की जीत हुई ।
3. 25 अप्रैल 1968 में प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत के गायक गुलाम अली खान का स्वर्गवास हो गया था
On 25 April 1936, there was a war between Ogden and Italy, finally Italy won..
4. 25 अप्रैल 2005 में जापान की रेल दुर्घटना में 107 लोगों की मृत्यु हो गई थी ।
On April 25, 2005, 107 people died in a Japan train accident.
5. 25 अप्रैल 2015 में नेपाल में भयानक भूकंप आया जिसने भारी मात्रा में तबाही मचाई ।
On 25 April 2015, there was a terrible earthquake in Nepal which caused a huge amount of destruction.

विश्व पेंगुइन दिवस 2020 कब मनाया जाएगा?


विश्व पेंगुइन दिवस 2020 की घटना, हर साल की तरह, 25 अप्रैल को मनाई जाएगी, जो इस बार शनिवार को पड़ेगी। कोई कण नहीं है

उम्मीद है कि आपको 25 अप्रैल की ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में पढ़कर बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी । ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जिनके बारे में हम कभी भूल नहीं सकते । जैसे कि एक घटना हमारे देश में अभी हुई है जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है । आप सब उस से भलीभांति परिचित हैं उस बीमारी का नाम है क्रोना वायरस यह घटना भी इतिहास के पन्नों पर लिखी जाएगी और हमारी आने वाली पीढ़ी इस घटना के बारे में (Meenakshi)

Wednesday, April 22, 2020

जीवन कौशल

व्यक्ति अपने जीवन को कैसे गुजारता है? जिंदगी के हर चरण में अपनी पहचान उम्र के साथ अपने व्यक्तित्व को कैसे निकालता है ?यह सभी उसके कौशल पर निर्धारित है दोस्तों आम भाषा में हम कौशल को सिर्फ पढ़ाई लिखाई या इंस्टीट्यूट और ट्यूशन में सिखाई गई कला को ही कौशल मानते हैं। लेकिन प्रबंध वह जीवन गुणवत्ता जीवन कौशल का अभिन्न अंग है
व्यक्ति को अपने जीवन कौशल को सही निर्देशन के साथ अपने जीवन की हर चरण से होकर गुजरना चाहिए और ने केवल पढ़ाई लिखाई के कौशल को ही ध्यान में रखें कार्य करना चाहिए बल्कि हर व्यक्ति को जीवन में अन्य महत्वपूर्ण कौशल को भी समय-समय पर कार्य करना चाहिए।
जैसे कि डिफेंस यह कौशल आज के समय में हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है जिसमें ना केवल लड़कियां बल्कि बच्चों और बड़े लोगों को भी अपने ऊपर कोई विपत्ति आए तो उससे लड़ने में सक्षम बनाता है।
पर्सनैलिटी डेवलपमेंट आज के समय में यह कौशल कैसा कौशल है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है और उसको एक पहचान दिलाता है।
कम्युनिकेशन स्किल एक ऐसा कौशल जो आपके व्यक्तित्व को बनाने में और समाज में आपको आपके शब्दों से एक अलग पहचान दिला कर दुनिया की भेड़ चाल से अलग कर आपको एक पहचान देता है इसमें रीडिंग ,राइटिंग स्पीकिंग,जैसे सभी स्किल हैं ।
आज के समय में और भी कई ऐसे कौशल हैं जो आपके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आप में होने जरूरी हैं।


History of the day

*Earth Day 2020: पृथ्वी दिवस का आयोजन हर वर्ष 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 1 अरब से अधिक लोग मनाते हैं. वर्ष 2020 में इसके 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं.*


✍️महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था कि प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि वह हर मनुष्य की “जरुरत” को पूरा कर सकती है लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के “लालच” को पूरा नही कर सकती है.

*पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) ने पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी. सन् 1970 से प्रारम्भ हुए* इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देश मनाते हैं. इन्हें फादर ऑफ़ अर्थ डे कहा जाता है.

पृथ्वी दिवस की गतिविधियों में पूरी दुनिया में लगभग 1 अरब से अधिक लोग हर साल भाग लेते हैं. इस प्रकार इतनी बड़ी संख्या के साथ यह पूरी दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक आन्दोलन है.

पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. इस तारीख के समय उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम रहता है.

22 अप्रैल 1970 को आयोजित पहले पृथ्वी दिवस में 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था जिसमे हर समाज, वर्ग और क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया था. इस प्रकार यह आन्दोलन आधुनिक समय के सबसे बड़े पर्यावरण आन्दोलन में बदल गया था.

*विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस*

इस दौरान अमेरिका के हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने पर्यावरण में गिरावट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

पर्यावरण-प्रेमी, प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन; समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने, नदियों में फैक्ट्री का गन्दा पानी डालने वाली कंपनियों को रोकने के लिए, जहरीला कूड़ा इधर उधर फेकने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए और जंगलों को काटने वाली आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए आज भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

*👉पृथ्वी दिवस शब्द किसने दिया था? (Who Invented World Earth Day)*

"पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" शब्द को जुलियन कोनिग (Julian Koenig) 1969 ने दिया था. इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया, इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी होता है. उन्होंने कहा कि "अर्थ डे" "बर्थ डे" के साथ ताल मिलाता है, इसलिए उन्होंने 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने का सुझाव दिया था.

इसके अलावा इस माह में विश्व में स्कूलों की छुट्टियाँ भी होतीं हैं जिससे लोग आन्दोलन में भाग लेने ले लिए फ्री होते हैं और विश्व के देशों में तापमान भी अनुकूल रहता है.

रोन कोब्ब ने एक पारिस्थितिक प्रतीक (Ecological symbol) का निर्माण किया, जिसे बाद में पृथ्वी दिवस के प्रतीक के रूप में अपनाया गया था. यह लोगो "E" व "O" अक्षरों को जोड़कर बनाया गया था जिसमे "E" "Environment" व "O" "Organism" को दर्शाता है. इस लोगो को “लॉस एंजेलिस फ्री प्रेस” में 7 नवम्बर 1969 को प्रकाशित किया गया और फिर इसे सार्वजानिक डोमेन में रखा गया था.


*▪️पृथ्वी के पर्यावरण को नष्ट करने वाले कारक इस प्रकार हैं;*

1. पॉलीथीन पृथ्वी के लिए सबसे घातक है, फिर भी हम इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. पृथ्वी दिवस 2018 की थीम भी इसी “प्लास्टिक को ख़त्म करने” पर आधारित है. जबकि *वर्ष 2019 के पृथ्वी दिवस की थीम "Protect Our Species" है. पृथ्वी दिवस 2020 के लिए थीम है; climate action.*

2. पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है.

3. विश्व का मानव संसाधन पर्यावरण जैसे मुद्दों के प्रति कम जागरूक है.

4. प्रथ्वी के प्रति मानव की शोषण धारित प्रवृत्ति का होना.

5. वन और पर्यावरण सुरक्षा कानूनों का शिथिल होना.

*2020 में पहले प्रथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी.* इस वर्षगाँठ को सही मायने में सफल बनाने के लिए प्रथ्वी दिवस का कार्यकारी समूह 21वीं शताब्दी के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पर्यावरणीय लक्ष्यों का एक महत्वाकांक्षी सेट लॉन्च करने जा रहा है.

व्यंग्य करने वाले लोग वायु प्रदुषण को "समृद्धि की गंध" कहते हैं (Air pollution is commonly accepted as the smell of prosperity.) अगर हर देश में वनों का इसी तरह से अंधाधुंध विनाश होता रहा अर्थात लकड़ी के जंगलों की जगह कंक्रीट के जंगल बनते रहे, उद्योग लगते रहे और विश्व के नेता और उद्योगपति अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों को मौजमस्ती का अड्डा समझते रहे तो बहुत जल्दी ही यह प्रथ्वी फिर से आग का गोला बन जाएगी.

अंत में यह कहा जा सकता है कि जिस दिन हम इस प्रथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने लायक दुबारा बना देंगे उसी दिन दुनिया सही मायने में अर्थ डे या प्रथ्वी दिवस मनाएगी.

Monday, April 20, 2020

2 नाव की सवारी

भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन, समृद्ध, संस्कृति या कहें कि यह सभी संस्कृतियों की जन्मदाता है। जीने की कला हो , राजनीति क्षेत्र, शिक्षा का विस्तार हो या संस्कारों की शुरुआत हो या सभी के समानता की बात
महिलाओं के हक की लड़ाई हो किसी भी क्षेत्र में भारतीय संस्कृति सदैव विशेष स्थान पर रही है । अन्य देशों की संस्कृति तो समय-समय पर धारा में बहती चलती जा रही हैं ।परंतु भारतीय संस्कृति आज भी अपनी परंपरागत अस्तित्व के साथ अमर बनी हुई है
आज के समय में संस्कृति व सभ्यता एक दूसरे के पर्यायवाची समझे जाने लगे हैं । जिसके फल स्वरूप भारतीय संस्कृति भी समय की धारा में नष्ट होती दिखाई पड़ रही है ‌। नष्ट होने का आभास नजर आ रहा है क्योंकि वास्तव में सभ्यता का संबंध हमारी बाहरी जीवन से होता है। यथा खानपान ,रहन सहन ,बोलचाल, पोशाक , संस्कृति का संबंध हमारी सोच चिंतन और विचारधारा से होता है ।और इस अर्थ का स्पष्ट ना होने के कारण ही भारत आज एक ऐसा देश बन गया है ।जो संस्कृति व सभ्यता नाम की दो नाव में सैर करता नजर आ रहा है। जिसका साफ-साफ उदाहरण हम अपने जीवन में देख सकते हैं भारतीय लोग इसे आधुनिकरण के नाम से पुकारते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा में चला रहे हैं शिक्षा में अधिक से अधिक अंग्रेजी को अपनाकर अधिक से अधिक पश्चिमी पोशाक पहनकर हालांकि वे पोशाक को पहनने के बाद भी इस पोशाक को पहनने वाली लड़की को एक ऐसी नजर से देखते हैं। जो भारतीय संस्कृति में पाप माना जाता है ।भारत में लोग अपनी सभ्यता को पूरी तरह से पश्चात सभ्यता बनाने की जटिल कोशिश कर रहे हैं। परंतु साथ ही साथ इसके विरोध में भी कोई कमी नहीं भारतीय संस्कृति ना तो खुद को अपनी परंपरागत संस्कृति के साथ जुड़े पा रही हैं ।और ना ही पश्चिमी सभ्यता के साथ जिसने भारत को बीच मझधार पर लटका कर छोड़ दिया है ।आज भारत की सभ्यता व संस्कृति नाम की दोनों नाउ में डूबता नजर आ रहा है।

Sunday, April 19, 2020

Golgape


गोलगप्पे हैं ही ऐसी चीज की इसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। लॉकडाउन के कारण सभी बाजार बंद हैं, ऐसे में अगर गोलगप्पे खाने का मन है तो इसके लिए आप आराम से घर बैठे गोलगप्पों का आनंद ले सकती हैं। इसके लिए ज्यादा सामान की भी आवश्यकता नहीं। सूजी, पानी, तेल और पुदीना धनिया से आप आसानी से चटपटे पानीपूरी का मजा ले सकते हैं। इसके अलावा आपको जानकर खुशी होगी कि आप इसे बहुत ही कम समय में बना सकते हैं।
गोलगप्पे हैं ही ऐसी चीज की इसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। लॉकडाउन के कारण सभी बाजार बंद हैं, ऐसे में अगर गोलगप्पे खाने का मन है तो इसके लिए आप आराम से घर बैठे गोलगप्पों का आनंद ले सकती हैं। इसके लिए ज्यादा सामान की भी आवश्यकता नहीं। सूजी, पानी, तेल और पुदीना धनिया से आप आसानी से चटपटे पानीपूरी का मजा ले सकते हैं। इसके अलावा आपको जानकर खुशी होगी कि आप इसे बहुत ही कम समय में बना सकते हैं।



पानी पूरी बनाने के लिए सबसे पहले आपको सबसे पहले एक बर्तन में सूजी और तेल को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें। इसके बाद इसमें गुनगुना पानी डालते हुए नरम आटा गूंद लें। अब इसे 20 मिनट तक ढंक कर रख लें। इसके बाद आटा जब फूल जाए तो अपने हाथों में हल्का पानी लगाकर इसे फिर एक बार हल्के हाथों से चकले पर मसलें। अब तेल लगाकर इस आटे को चिकना कर इसकी लोइयां बनाएं। अब इसकी छोटी-छोटी लोईयां बनाकर हल्की आंच में इन्हें तलें। हल्का सुनहरा होने तक इन्हें तले। आप देखेंगे कि ये करारे होंगे। अब इनके लिए पानी बनाने की तैयारी करें।

पानी-पूरी का पानी बनाने के लिए आपके पास हरी पुदीना पत्ती, धनिया पत्ती, हरी मिर्च , जीरा पाउडर, हींग, काला नमक, सफ़ेद नमक, सोठ पाउडर, खट्टा करने के लिए अमचूर पाउडर होना चाहिए। पानी बनाने के लिए सबसे पहले आप सबसे पहले हरी पुदीना पत्ती और धनिया पत्ती को साफ़ कर इसमें हरी मिर्च, जीरा पाउडर, काला नमक, सफ़ेद नमक, सोठ पाउडर, और थोड़ा सा पानी डालकर मिक्सी में मिला लें। अब इसमें पानी और अमचूर पाउडर मिला लें। अगर इमली डालना चाहते हैं तो इमली को गरम पानी में 15-20 मिनट के लिए भिगो दे | फिर इसे हाथ से मैश करके इसका पल्प निकालकर पानी को छान लें। इसके बाद इसमें बूंदी मिला लें। अब उबले आलू और चने के साथ पानी के साथ सर्व

Friday, April 17, 2020

सरकारी नोकरी

सरकारी नौकरी की चाहत भारत  युवाओ के लिए अलग अलग विभागों में ने सरकारी नौकरी यहा से करे आवेदन कर सकते है

Sarkari Naukari 10th 12th pass सरकारी नौकरी 2020

अगर आप सरकारी नोकरी के Exam एग्जाम की तयारी करते है और आपको सरकारी नौकरी की तलास है तो आपके लिए अलग अलग  विभागों की जानकारी मिल जायंगे  हम आपको सरकारी नौकरी की ताजा vacancy के बारे में बतायंगे जिनके लिय आप अगर योग्य है तो अप्लाई कर सकते है हाल में कई सरकारी विभागों में सरकारी नौकरी जानकारी जरी किए गए है जिनमे 10वी 12वी  8 वी पास जॉब्स के लिए अप्लाई कर सकते है आज के समय में सरकारी नौकरी के हर अपडेट मोबाइल पर प्राप्त किया जा सकता है जिससे जब भी कोई सरकारी जॉब्स notification जारी किया जाता है जिसका notification मोबाइल पर प्राप्त किया जा सकता है

Thursday, April 16, 2020

After lockdown ???

लॉक डाउन हमारा सुरक्षा कवच जो एस मुश्किल समय में हमें एक भयानक बीमारी से बचाने के लिए सामने खड़ा  है ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌। जिसका असर महामारी पर दिख भी रहा है पर?? क्या यह सच ‌है की लॉक डाउन सिर्फ हमारी महामारी को कमजोर कर रहा है या प्रभावित कर रहा है

‌‌अगर हम देखें तो हमें पता चलेगा की यह सुरक्षा कवच के पीछे एक भयानक महामंदी का द्वार खड़ा है जिसका असर हमें लॉक डाउन के शुरुआती दौर में ही दिखाई पड़ रहे हैं।,देश में मेट्रो सिटी या शहरी राज्य में इसका 30% के आसपस नजर आया है परंतु यदि हम ओवरऑल आंकड़े देखें तो   रिपोर्ट के मुताबिक 23.4 का अनुमान लगाया जा रहा है
 यह असर केवल किसी एक सेक्टर या राज्य में नहीं है ।
 भारत के सांख्यिकीविद प्रणव सेन का कहना है की लॉक डाउन के दौरान 2 हफ्तों में 5 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं जिसका अनुमान हम naukri.com के चीफ पवन के आंकड़ों से भी लगा सकते  है उनके अनुसार मार्च के महीने में 5%गिरावट आई थी और यह गिरावट 10 दिन के अंदर 10 %पर पहुंच गई जिसका प्रमाण यह आंकड़े दे रहे हैं

दिल्ली 26 ‌%
चेन्नई 24%
 एनसीआर 66%
हैदराबाद 19%
यह आंकड़े को देखकर हम कल्पना कर सकते हैं हमारे कल की जो लॉक डाउन खत्म होते ही एक भयानक संकट जो बेरोजगारी के रूप में हमारे सामने खड़ा होगा जिसके लिएलिए हमें आज ही से खुद को मजबूत करके चलना होगा और आने वाले संकट से लड़ने के लिए ख खुद को तैयार करना होगा क्योंकि यह संकट सिर्फ बेरोजगार व्यक्ति पर ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार और देश के आर्थिक स्थिति पर भी अपना जोर अपना आएगा और देश को कई वर्षों पीछे ले जाकर खड़ा कर देगा जोकि ना केवल हमारे मजदूर वर्ग और मध्यमवर्ग के परिवारों पर असर डालेगा बल्कि देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका असर होगा तो यदि आप इस असर से देश को और खुद को बचाना चाहते हैं तो आज से ही एक तैयारी में लग जाइए जोकि आपको और आपके देश को बेरोजगारी के संकट से जल्द से जल्द मुक्त करा सके


  

Monday, April 13, 2020

महामारी

 क्यों हमारा भारत एक Super Power देश 
ये सवाल बन रहा है?  जो एक बार फिर से हमारे सामने उठ खडा हुआ है, जहाँ पूरा विश्व कोरोना की मार झेल रहा है, और ख़ुद को इस महामारी से बचाने का प्रयास कर रहा है वहीं हमारे देश में एक- तिहाई (1/3) लोग सिर्फ इस प्रयास में लगे हुए की वो ख़ुद को और अपने परिवार को भूख की मार से कैसे बचाए। 
ये सुनने में अच्छा लगता है और सभी के लिए ज़रूरी भी है की घर पर रहें सुरक्षित रहें, पर क्या किसी ने एक बार उन लोगों के बारे में सोचा है जिनके पास सिर ढकने को छत ही नही है, तन ढकने को कपड़ा नही है,रात गुज़ारने को कोई बिस्तर तो छोड़ो, एक टाट की बोरी  तक भी नसीब नही होती। 
जिनके पास इस महामारी को देने के लिए अपनी जान तो है लेकिन हमारे पास उन्हें देने को दो वक़्त का खाना भी नही है उन लोगों को बस एक ही डर सताता है और वो इस कोरोना से नही डरते वो डरते हैं तो इस ग़रीबी की आग से जो उनके माथे पर एक श्राप बन कर लगी है, और ना जाने कब उनका पीछा छोड़ेगी। 
और इस सब में कमाल की बात तो ये है की ऐसी महामारी के समय में National food security  2013  जैसी अंगिनत् संस्थाएँ मिलकर भी उनका पालन पोषण नही कर पा रही हैं, उनके लिए इलाज तो दूर उनको भूख से भी नही बचा पा रही है। 
क्या वाकई हम super Power देश हैं, इस पर एक बार फ़िर से सोचने की ज़रूरत है। और देश में लगी इस गरीबी की पुरानी दीमक को हटाने के लिए एक कदम सरकार के साथ हमें भी बढ़ाने की जरूरत है